Monday 12 July 2021

love forever in alone

जिंदगी ख्वाहिशों का एक मेला है कहीं पर हार तो कहीं पर जीत का ये खेला है जो भी मिले उससे तुम मुस्कुरा कर मिला करो इस भीड़ में हर कोई ही अकेला है
चलते-चलते अकेले अब थक गए हम, जो मंज़िल को जाये वो डगर चाहिए, तन्हाई का बोझ अब और उठता नहीं, अब हमको भी एक हमसफ़र चाहिए।
ज़िन्दगी के ज़हर को यूँ पी रहे हैं, तेरे प्यार के बिना यूँ ज़िन्दगी जी रहे हैं, अकेलेपन से तो अब डर नहीं लगता हमें, तेरे जाने के बाद यूँ ही तन्हा जी रहे हैं।
कभी पहलू में आओ तो बताएँगे तुम्हें, हाल-ए-दिल अपना तमाम सुनाएँगे तुम्हें, काटी हैं अकेले कैसे हमने तन्हाई की रातें, हर उस रात की तड़प दिखाएँगे तुम्हें।
छोड़ दो तन्हा ही मुझको यारो, साथ मेरे रहकर क्या पाओगे, अगर हो गई तुमको मोहब्बत कभी, मेरी तरह तुम भी पछताओगे।

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रिश्ते शब्दों के मोहताज़ नहीं होने चाहिए
अगर एक खामोश है तो दुसरे
को आवाज़ देनी
चाहिए…